पाकिस्तान में धार्मिक उत्पीड़न का शिकार होने वाले हिंदुओं को भारत द्वारा शरणार्थी का दर्जा देने से इनकार किए जाने पर अमेरिका स्थित हिंदू अमेरिकी संस्था (एचएएफ) ने कल निराशा जाहिर की।
पाकिस्तान से आए हिंदुओं को शरणार्थी न मानने की यह घोषणा लोकसभा में गह राज्यमंत्री मुल्लापल्ली रामचंद्रन ने पिछले शुक्रवार को की थी।
हाल ही में जोधपुर में लगे पाकिस्तानी हिंदुओं के शिविरों में होकर आए एचएएफ के निदेशक और मानवाधिकारों के वरिष्ठ शोधार्थी समीर कालरा ने कहा कि सुनियोजित उत्पीड़न और भेदभाव सहने के बावजूद भारत द्वारा पाकिस्तानी हिंदुओं को शरणार्थी दर्जा देने से इंकार करने का फैसला पूरी तरह असंगत है।
कालरा ने आरोप लगाया कि आधिकारिक रूप से शरणार्थी दर्जा या नागरिकता के अभाव में ये पाकिस्तानी हिंदू किसी भी देश के नागरिक नहीं हैं। ऐसे में ये भारत में न तो स्वतंत्र रूप से घूम सकते हैं न ही कोई रोजगार कर सकते हैं। ये सरकार द्वारा दी जाने वाली मूलभूत सहायताएं भी नहीं ले सकते हैं।
उन्होंने कहा कि बड़ी संख्या में पाकिस्तानी हिंदुओं ने हाल के कुछ वर्षों में भारत में शरण ली है। ये लोग मुख्य रूप से सिंध प्रांत से हैं। ऐसा अनुमान है कि हर साल लगभग एक हजार प्रवासी राजस्थान आ जाते हैं।
पाकिस्तान से आए हिंदुओं को शरणार्थी न मानने की यह घोषणा लोकसभा में गह राज्यमंत्री मुल्लापल्ली रामचंद्रन ने पिछले शुक्रवार को की थी।
हाल ही में जोधपुर में लगे पाकिस्तानी हिंदुओं के शिविरों में होकर आए एचएएफ के निदेशक और मानवाधिकारों के वरिष्ठ शोधार्थी समीर कालरा ने कहा कि सुनियोजित उत्पीड़न और भेदभाव सहने के बावजूद भारत द्वारा पाकिस्तानी हिंदुओं को शरणार्थी दर्जा देने से इंकार करने का फैसला पूरी तरह असंगत है।
कालरा ने आरोप लगाया कि आधिकारिक रूप से शरणार्थी दर्जा या नागरिकता के अभाव में ये पाकिस्तानी हिंदू किसी भी देश के नागरिक नहीं हैं। ऐसे में ये भारत में न तो स्वतंत्र रूप से घूम सकते हैं न ही कोई रोजगार कर सकते हैं। ये सरकार द्वारा दी जाने वाली मूलभूत सहायताएं भी नहीं ले सकते हैं।
उन्होंने कहा कि बड़ी संख्या में पाकिस्तानी हिंदुओं ने हाल के कुछ वर्षों में भारत में शरण ली है। ये लोग मुख्य रूप से सिंध प्रांत से हैं। ऐसा अनुमान है कि हर साल लगभग एक हजार प्रवासी राजस्थान आ जाते हैं।
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