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Founder Editor(Print): late Shyam Rai Bhatnagar (journalist & freedom fighter) International Editor : M. Victoria Editor : Ashok Bhatnagar *
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22 अग॰ 2012

आखिर क्यों करवाई सेनापति ने राजनेताओं की जासूसी

राकेश माथुर<><><>

- क्या चाहते थे जनरल वीके सिंह
- 18 करोड़ रुपए के बजट में बनाई थी टैक्नीकल सपोर्ट डिविजन
- सीधे जनरल वीके सिंह को रिपोर्ट करती थी यह डिविजन
- जांच के आदेश

सेनापति जनरल वीके सिंह अब रिटायर होकर अन्ना हजारे और बाबा रामदेव की भ्रष्टाचार विरोधी मुहिम से जुड़ गए हैं। वे वर्तमान केंद्र सरकार को भ्रष्ट बता रहे हैं। अन्ना हजारे के मंच पर नए राजनीतिक विकल्प की बात करते हैं। यह साबित करने के लिए काफी है कि हमारे देश की राजनीतिक व्यवस्था बनाने वालों ने सेना को इस तरह ढाला है कि वह चाहकर भी देश की सत्ता पर सीधे कब्जा न कर सके।

मुझे याद है जब केंद्र में सरकारें टिक नहीं पा रही थीं, चौधरी चरण सिहं संसद का सामना किए बिना इस्तीफा दे आए थे और कार्यवाहक प्रधानमंत्री थे तब के सेनापति जनरल ओपी मल्होत्रा ने कहा था कि सेना सत्ता संभालने को तैयार है, लेकिन अभी ऐसा मौका नहीं आया है। पाकिस्तान होता तो सेना ने शायद सत्ता पर कब्जा कर लिया होता।
अब नए सेना अध्यक्ष ने पता लगा लिया है कि जनरल वीके सिंह शायद सत्ता में आने का रास्ता सेना के माध्यम से खोज रहे थे। राजनेताओं को भ्रष्ट बताने वाले जनरल सिंह ने केंद्रीय मंत्रियों व अन्य राजनेताओं के फोन टैप करने के लिए सेना में एक नई शाखा बनाई थी। इसके लिए बाकायदा 1-2 नहीं 18 करोड़ रुपए के बजट का इंतजाम किया था। कहां से और कैसे इसका खुलासा करने के लिए जांच शुरू हो गई है।
नेताओं की जासूसी करने वाला सेना का यह विभाग सीधे सेनाध्यक्ष यानी जनरल वीके सिंह को रिपोर्ट करता था। जनरल सिंह सरकार से अपना कार्यकाल एक साल बढ़वाने के लिए सुप्रीम कोर्ट तक चले गए थे। शायद जासूसी इसलिए भी करवा रहे होंगे कि नेताओं को ब्लैकमेल करवा सकें। यह कह सकें कि फलां का फोन आया था आपने इतने पैसे या फायदा मांग कर फलां को यह लाभ पहुंचाया था। लेकिन शायद एके एंटनी और प्रणब मुखर्जी उनके पल्ले पड़े। ये सख्तजान लोग बाकी कांग्रेसियों से अलग निकले।
जनरल सिंह का दांव खाली गया तो जनरल तेजिंदर सिहं पर 14 करोड़ रुपए की रिश्वत की पेशकश का इल्जाम लगा दिया। रिटायर हो चुके ले. जनरल तेजिंदर ने जनरल सिंह पर मानहानि का मुकदमा ठोक दिया। यह अभी कोर्ट में चल रहा है। ले. जनरल तेजिंदर सिंह डिफेंस इंटेलिजेंस एजेंसी के प्रमुख थे। आखिर उनसे जनरल सिंह की क्या दुश्मनी थी। सेना ने बाकायदा प्रेस विज्ञप्ति जारी कर उन पर आरोप क्यों लगाए। जबकि उसकी कोई जरूरत नहीं थी। शायद अब खुलासा हो जाए। कहा गया था कि तेजिंदर मीडिया को सेना की गोपनीय बातें लीक कर रहे हैं। हकीकत क्या थी। कहीं ऐसा तो नहीं था कि जनरल सिंह ने उन्हें नेताओं की जासूसी करने को कहा हो और इनकार करने पर उन्हें फंसा दिया गया हो। कुछ भी हो सकता है।
जनरल सिंह ने नेताओं की जासूसी के लिए नया तरीका निकाला था। सेना की नई शाखा बनाई थी। नाम रखा था टैक्नीकल सपोर्ट डिविज़न। मालूम था कि मंत्रियों का काम बहुत गोपनीय होता है। हर कोई उनके दफ्तर में घुस नहीं सकता। सेना के नाम पर उन्हें कोई रोक नहीं सकता। सो टैक्नीकल सपोर्ट के नाम पर वे हर उस मंत्री के दफ्तर में घुसे जिससे उन्हें लाभ हो सकता था। यह डिविज़न उन्होंने खुद बनाई। अपने ही व्यक्तिगत नियंत्रण में रखी। 18 करोड़ रुपए इसके खर्च के लिए सेना के बजट से निकाले। अब इस डिविज़न को भंग करने का फैसला लिया गया है।
नए सेनापति जनरल विक्रम सिंह ने इसे भंग करने से पहले यह पता लगाने के आदेश दिए हैं कि आखिर इसने किया क्या क्या। किस किस मंत्री को फंसाने की साजिश थी। इतना बजट कहां से आया। इससे जनरल सिंह ने क्या क्या लाभ उठाया। कौन कौन से अतिसंवेदनशील मुद्दों की जानकारी चोरी छिपे जनरल सिंह अपने साथ ले गए। देश के लिए वह कितना बड़ा खतरा हैं या उनसे कोई खतरा नहीं है।
यह पता लग गया है कि इस डिविज़न का कोई सामरिक महत्व नहीं था। फिर यह सीधे सेनाध्यक्ष को क्यों रिपोर्ट करती थी। इसकी जांच हो रही है। आरोप यह भी है कि इस डिविजन को मोबाइल फोन टैप करने के दो अत्याधुनिक उपकरण दिए गए थे। कौन जिम्मेदार था। उसे क्या क्या जिम्मेदारी सौंपी गई थी। असल मकसद क्या था। किस का क्या फायदा हुआ। उस पर खर्च होने वाले 18 करोड़ रुपए कहां से कैसे किस मद में निकाले गए। उसके उपयोग की इजाजत किसने दी। ये वे कुछ सवाल हैं जिनके जवाब जांच में सामने आएंगे। यह सब पता लगाने के लिए तीन सितारा लेफ्टिनेंट जनरल स्तर के अधिकारी की अध्यक्षता में जांच समिति बनाई गई है। रिपोर्ट कब तक आएगी अभी यह तय नहीं है।

11 अग॰ 2012

हिमाचल में बस घाटी में गिरी, 40 की मौत

शिमला : हिमाचल प्रदेश के चम्बा जिले में शनिवार सुबह यात्रियों से खचाखच भरी एक बस के सड़क से फिसलकर घाटी में गिरने से कम से कम 40 लोगों की मौत हो गई। यह जानकारी पुलिस ने दी। यह निजी बस चम्बा की ओर आ रही थी तभी वह शहर से करीब 10 किलोमीटर की दूरी पर राजेरा के निकट एक घाटी में जा गिरी।

पुलिस अधीक्षक कुलदीप शर्मा ने बताया, `40 लोगों के शव बरामद किए जा चुके हैं। राहत और बचाव कार्य जारी है।` उन्होंने कहा कि यह अब तक पता नहीं चल सका है कि हादसे के समय बस में कितने यात्री सवार थे। उन्होंने कहा कि मरने वालों की संख्या बढ़ सकती है। मरने वालों में अधिकांश चम्बा के रहने वाले थे। यह दुर्घटना राजधानी से करीब 475 किलोमीटर की दूरी पर हुई। इस इलाके में पिछले कुछ दिनों से मध्यम से तेज बारिश हो रही है।

इंजीनियरिंग कॉलेजों में जीरो सेशन का खतरा

कोटा।

इंजीनियरिंग में प्रवेश दिलवाने के लिए बहुत तेजी से एजुकेशन हब के रूप में उभरे कोटा के सामने अब नया संकट आ गया है। राजस्थान में इंजीनियरिंग का क्रेज जितनी तेजी से शुरू हुआ था अब उतनी ही तेजी से घटने लगा है।

इंजीनियरिंग कॉलेजों की संख्या तो साल-दर-साल बढ़ती जा रही है, लेकिन विद्यार्थियों की संख्या घटती जा रही है। आरपीईटी की पहली काउंसलिंग और अपवर्ड मूवमेंट के बाद राज्य के इंजीनियरिंग कॉलेजों की आधी से ज्यादा सीटें खाली रह गई हैं। हालांकि अभी काउंसलिंग के अगले दौर और सीधे प्रवेश की छूट शेष है, लेकिन एआई-ईईई व अन्य कॉलेजों में सीधे प्रवेश के विकल्प होने के कारण सीटें भरती नजर नहीं आ रही हैं।

पिछले साल भी इंजीनियरिंग कॉलेजों में करीब पन्द्रह हजार सीटें खाली रह गई थीं। आरपीईटी प्रवेश प्रक्रिया में अभी एक माह शेष होने से पहले ही कॉलेजों ने हार मानना शुरू कर दिया है।

जयपुर के एक कॉलेज ने पहली काउंसलिंग में गिनती के विद्यार्थी आने पर आरटीयू में जीरो सेशन के लिए आवेदन करते हुए विद्यार्थियों को दूसरे कॉलेज में स्थानान्तरित करने की अपील की है।

यह है राजस्थान के कालेजों की स्थिति

139 - इंजीनियरिंग कॉलेज
61571 सीटें
65 हजार ने दी आरपीईटी
24040 सीटों के अलॉटमेंट के बाद विद्यार्थियों ने उपस्थिति दी (प्रथम काउंसलिंग में)
39531 सीटें अपवर्ड मूवमेंट के लिए रहीं।
4969 विद्यार्थियों को सीटें अलॉट की गई अपवर्ड मूवमेंट में
34562 सीटें प्रदेश के कॉलेजों में रिक्त बचीं

10 जिलों से वापस मांगे मनरेगा के 115 करोड़


जयपुर।

राजस्थान सरकार ने मानसून की बेरुखी के बाद अभावग्रस्त घोषित बीकानेर जैसे जिले से मनरेगा के लिए जारी राशि वापस मंगवा ली है। सूखे और बारिश की कमी के बाद जिले में लोगों में काम की मांग बढ़ रही है। इस जिले में 3.43 लाख परिवारों के जॉब कार्ड बने हैं, जिसमें सिर्फ 63,460 लोगों को काम दिया गया है। ऐसे में काम के लिए लोग इधर-उधर फिर रहे हैं। बीकानेर सहित 10 जिलों से 115 करोड़ की राशि वापस मंगवाई गई है।

मनरेगा में राशि का आवंटन जिलों की ओर से भेजी गई योजना और संभावित काम की मांग को देखते हुए किया जाता है। यह राशि उन जिलों से मांगी है, जिनमें श्रमिकों की ओर से काम की कम मांग दर्शाई गई है। दौसा जिले से 15 करोड़, बीकानेर 30 करोड़, भरतपुर 15 करोड़, हनुमानगढ़ 10 करोड़, राजसमंद 5 करोड़, बांसवाड़ा 25 करोड़, सीकर 5 करोड़, श्रीगंगानगर 3 करोड़, धौलपुर 3 करोड़ और झुंझुनूं से 4 करोड़ रु. की राशि मंगवाई है। राज्य सरकार ने केंद्र से राशि मिलते ही फिर से देने का भरोसा भी दिलाया है।

मानसून की बेरुखी के बाद अन्य जिलों में जरूरत को देखते हुए मंगवाई राशि

फार्म भरने पर नहीं दी जाती रसीद

रोजगार मांगने वालों को फॉर्म छह भरकर देना होता है, उसकी रसीद मिलने पर काम देने की गारंटी हो जाती है। अधिकतर मामलों में देखा गया है कि काम मांगने का फॉर्म देने पर रसीद नहीं दी जाती है। इससे काम की गांरटी नहीं रह जाती। अभियान से जुड़े निखिल डे का कहना है कि लोग काम मांगने जाते है, फॉर्म भी जमा कराते हैं, पर रसीद नहीं दी जाती। इसके चलते काम नहीं मिलता। हालांकि ग्रामीण विकास विभाग के एसीएस सी.एस. राजन इससे सहमत नहीं है।

क्यों मंगवाई राशि

जिन जिलों से राशि मंगवाई गई है, उनमें जॉब कार्ड के मुकाबले काम मांगने और करने वालों की संख्या अपेक्षाकृत कम है। कुछ अन्य में अपेक्षाकृत रोजगार अधिक लोगों को दिया जा रहा है, इस राशि को वहीं उपयोग में लिए जाने की संभावना है। इनमें खासतौर से अभावग्रस्त घोषित और कम बारिश वाले जिले शामिल बताए जाते हैं।

8 अग॰ 2012

रामदेव की मोदी प्रशंसा है खफा है अन्‍ना

किरण बेदी और अरविंद केजरीवाल को नहीं बुलाया

 बाबा रामदेव के गुरुवार से शुरू हो रहे आंदोलन से पहले खबर यह निकल कर आ रही है कि अन्‍ना हजारे योग गुरू से नाराज हैं. बताया जा रहा है कि बाबा रामदेव ने गुजरात के मुख्‍यमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रशंसा से दुखी हैं.
बाबा रामदेवरामदेव ने अपने आंदोलन से एक दिन पहले  कहा कि हां, हमने अपने आंदोलन में टीम अन्‍ना के सदस्‍य किरण बेदी और अरविंद केजरीवाल को नहीं बुलाया है. इसके पीछे का तर्क देते हुए रामदेव ने कहा कि दोनों राजनीतिक पार्टी बनाने वाले हैं और हमने किसी भी नेता को आंदोलन पर आने का न्‍योता नहीं दिया है.
वहीं सूत्रों से मिल रही जानकारी के अनुसार अन्‍ना हजारे ने अपनी तबीयत खराब बताकर रामदेव के आंदोलन में भाग लेने में असमर्थता जाहिर की है.
हालांकि खास मुलाकात में अन्‍ना ने कहा कि गुरुवार से हो रहे आंदोलन में हजारों लोग हिस्‍सा लेंगे. हमने इस आंदोलन में किसी भी नेता को न्‍योता नहीं दिया है.


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7 अग॰ 2012

नेपाल में स्कूलों के विदेशी नाम पर पाबंदी

सेंट जोजफ, होलीलैंड, यूरो किड्स इस जैसे विदेशी लगने वाले नामों के सेकेंडरी स्कूलों नेपाल में भर गए हैं। सरकार मान रही है कि सिर्फ नाम ही नहीं स्कूलों का मिजाज भी बदल रहा है और इसलिए नाम बदलने का फरमान जारी किया है

नेपाल सरकार ने सोमवार को साफ कर दिया कि वह अपने यहां के सेकेंडरी स्कूलों को ऑक्सब्रिज, व्हाइट हाउस और नासा जैसे नाम रखने पर पाबंदी लगाने जा रही है। सरकार को डर है कि देश के स्कूलों से नेपाली संस्कृति गायब हो रही है। लोगों को शायद सरकार की मंशा का पहले से ही अहसास था। पाबंदी लगने के साथ ही विरोध भी शुरू हो गया। देश भर में विदेशी नामों वाले स्कूलों के छात्र और युवा स्कूल के बाहर जमा होकर सरकार के इस फैसले का विरोध कर रहे हैं।

नेपाल के शिक्षा मंत्री जनार्दन नेपाल ने समाचार एजेंसी एएफपी को बताया, 'हमने स्कूलों को अपना नाम नेपाली में बदलने के लिए सूचना दे दी है। यहां के कानून में यह साफ लिखा गया है, लेकिन कुछ स्कूल इस नियम को तोड़ रहे हैं। उन लोगों को नाम बदलने के लिए बहुत वक्त दिया गया लेकिन अब इसमें ज्यादा वक्त नहीं लगेगा।' जनार्दन नेपाल ने यह नहीं बताया कि नाम बदलने की आखिरी समय सीमा कब तक है।

नेपाल में पढ़ाई लिखाई पर खर्च होने वाले पैसे का करीब 25 फीसदी विदेशी सरकारों और राहत एजेंसियां देती हैं। यहां का सालाना शिक्षा बजट करीब 65 अरब रुपए का है। पैसे की कमी से जूझ रहे स्कूल दान और छात्रों को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए पश्चिमी देशों के प्रतिष्ठित नामों पर स्कूल का नाम रख देते हैं।

एक अनुमान है कि केवल काठमांडू में ही करीब 250 स्कूल ऐसे हैं जिनके नाम यूरोप और अमेरिका के सम्मानित महापुरुषों, संस्थाओं या जगहों के नाम पर हैं। आइंस्टाइन एकेडमी और पेंटागन कॉलेज कुछ इसी तरह के उदाहरण हैं।

पिछले महीने ही संयुक्त राष्ट्र ने नेपाल के स्कूलों में फैल रही हिंसा पर गहरी चिंता जताई थी। संयुक्त राष्ट्र ने कहा कि उग्रवादियों की हिंसा से बच्चों का जीवन और शिक्षा का अधिकार खतरे में पड़ गया है।

स्थानीय मीडिया ने कई राजनीतिक दलों की छात्र शाखाओं पर काठमांडू के कॉलेज में कंप्यूटरों को नुकसान पहुंचाने और राजधानी की कई स्कूलों के बसों में आग लगाने का आरोप लगाया है। दक्षिण में चितवन और पूर्वी इलाके के शहर धारन में भी ऐसी घटनाओं की खबर मिली है। आग लगाने वाले स्कूलों के विदेशी नाम का विरोध कर रहे थे।

यूनीसेफ के मुताबिक नेपाल के केवल 46 फीसदी लड़के और 38 फीसदी लड़कियां ही सेकेंडरी स्कूल तक जा पाते हैं। सेकेंडरी स्कूल के आगे पढ़ाई करने वालों की तादाद तो और भी कम है। ज्यादातर युवा बहुत कम पढ़े लिखे और बदलती अर्थव्यवस्था की चुनौतियों का सामना करने में अक्षम साबित हो रहे हैं।

अगर लोगों को शिक्षा के जरिए ताकतवर बना कर देश के लिए भविष्य तय करना हो, तो नेपाल इसमें काफी पीछे रह जाएगा। मौजूदा नीतियां और राजनीतिक दखलंदाजी भी शिक्षा का भला करने में नाकाम हो रही हैं।

3 अग॰ 2012

शूटर विजय ने जीता सिल्वर मेडल

vijay-kumarलंदन।। लंदन ओलंपिक के 8वें दिन भारत को बड़ी सफलता मिली। 25 मीटर रैपिड फायर पिस्टल इवेंट में विजय कुमार ने सिल्वर मेडल जीता है। फाइनल में उन्होंने 30 पॉइंट हासिल किए। गौरतलब है कि शूटिंग के ही 10 मीटर एयर राइफल इवेंट में गगन नारंग ने ब्रॉन्ज मेडल जीता था। इसके साथ ही भारत के इस ओलिंपिक में 2 मेडल हो गए हैं। इसके पहले शूटर जॉयदीप कर्मकार भी ब्रॉन्ज मेडल से सिर्फ एक कदम दूर रह गए। शूटिंग के 50 मीटर राइफल प्रोन मुकाबले के फाइनल में वह चौथे स्थान पर रहे। गगन नारंग शुक्रवार को 50 मीटर राइफल प्रोन मुकाबले के फाइनल में भी नहीं पहुंच सके। इसके पहले भारतीय बैडमिंटन सनसनी साइना नेहवाल विमिंस सिंगल्स के सेमीफाइनल में दुनिया की नंबर एक खिलाड़ी चीन की यिहान वैंग से 21-13, 21-13 हार गईं। हालांकि, साइना के लिए अब भी ब्रॉन्ज मेडल की उम्मीदें बची हुई हैं।

सिंहासन छोड़ो जनता आती है: जनरल वीके सिंह

अन्‍ना हजारे के अनशन स्‍थल पर पहुंचे जनरल वीके सिंह ने मंच से लोगों में एक तरह से जैसे नया जोश भर दिया. आंदोलन के बारे में बोलते हुए पूर्व सेनाध्‍यक्ष ने कहा कि भ्रष्‍टाचार सब समस्‍याओं की जड़ और यह आंदोलन उसी भ्रष्‍टाचार को मिटाने के लिए है.
जनरल वीके सिंहउन्‍होंने यह भी कहा कि भ्रष्‍टाचार से लड़ने वालों की राह कठिन है और भ्रष्‍टाचार से लड़नेवालों का दमन होगा. इसके लिए भी आंदोलनकारियों को तैयार रहना होगा. 1975 के जेपी आंदोलन का उल्‍लेख करते हुए जनरल वीके सिंह ने रामधारी सिंह दिनकर की कविता की पंक्तियां उद्धृत करते हुए कहा कि उस दौरा में एक नारा दिया गया था 'सिंहासन छोड़ो जनता आती है'. उन्‍होंने कहा कि आज हालात वैसे ही हो गए हैं इसलिए हमें फिर से उस नारे की जरूरत है.
जनरल सिंह ने कहा कि आज हर आदमी महंगाई से परेशान है. संविधान के प्रावधानों का उल्‍लेख करते हुए उन्‍होंने कहा कि देश में भ्रष्‍टाचार मिटाने की कोशिश नहीं की गई ना कानूनों का ठीक से पालन हुआ, नहीं तो आज ऐसी स्थिति नहीं आती.
टीम अन्‍ना द्वारा राजनीति में आने के फैसले को सही ठहराते हुए उन्‍होंने कहा, 'हमने की थी राजनीतिक विकल्‍प की अपील और अन्‍ना ने हमारी अपील को माना है. उन्‍होंने यह भी कहा कि बड़ा आंदोलन करना होगा और देश को एक और राजनीतिक विकल्‍प देना जरूरी है.
युवाओं का उत्‍साह बढ़ाते हुए पूर्व सेनाध्‍यक्ष ने कहा कि आंदोलन की असली ताकत युवा ही हैं और अगर युवा चाहें तो देश की तकदीर बदल सकते हैं. सेना का उदाहरण देते हुए उन्‍होंने कहा कि जब सेना के लोग अच्‍छा काम कर सकते हैं तो प्रशासन के लोग क्‍यों नहीं कर सकते. उन्‍होंने कहा कि भ्रष्‍टाचार के खिलाफ अच्‍छे लोगों को आगे आना चाहिए और जनता ही देश की तकदीर बदल सकती है.

अब यह देश दिल्‍ली से नहीं चलेगा

टीम अन्‍ना के अहम सदस्‍य अरविंद केजरीवाल ने अनशन के मंच से कहा कि यह आंदोलन अब जनलोकपाल से आगे बढ़कर संपूर्ण क्रांति की राह पर निकल पड़ा है. अब हमें उसकी तैयारी करनी है. अब सड़क से आगे चलकर संसद का शुद्धिकरण करना है. अब दोनों जगह आंदोलन होगा.
अरविंद केजरीवालकेजरीवाल ने कहा कि अब यह आंदोलन बहुत बड़ा हो गया है जिसका मकसद सत्ता को गांव की ओर ले जाना है. इसके लिए हमें संसद में जाना होगा.
केजरीवाल ने कहा कि यह पार्टी नहीं आंदोलन होगा. हम इसके लिए किसानों, बेरोजगारों के बीच में जाएंगे और उनसे सस्‍याएं पूछेंगे और उनका समाधान तलाशेंगे. हमारा मकसद केवल चुनाव जीतना नहीं है. हमारा मकसद है इन नेताओं और पार्टियों को चुनौती देना. हम अपने चंदे और खर्चे का जिक्र वेबसाइट पर करेंगे और इन राजनीतिक दलों से भी कहेंगे कि वह भी ऐसा करें. हम जनता के जरिए उम्‍मीदवार खड़ा करेंगे न कि किसी हाईकमान के जरिए.
केजरीवाल ने कहा कि भूखे रहकर हमें किसानों की भूख और देश के लाखों लोगों की भूख का एहसास हुआ. उन्‍होंने ने कहा कि लोकपाल बिल पारित होने की राह में 15 मंत्री खड़ें हैं जिनपर भ्रष्‍टाचार का आरोप लगा है. लेकिन यह सरकार कुछ नहीं करने वाली. अगर वह लोकपाल बिल पास कर दे तो सभी 15 मंत्री जेल में होंगे.
केजरीवाल ने कहा कि हरेक आदमी भूख, गरीबी और बेरोजगारी से मुक्‍त भारत का सपना देखता है लेकिन यह कभी हकीकत नहीं हो पाता. अंग्रेजों के समय का कानून 1894 का भूमि अधिग्रहण कानून आज भी जारी है, उसे क्‍यों नहीं बदला जा सकता. हमें ऐसी शिक्षा पद्धति को भी बदलने की जरूरत है जो आदमी को बेरोजगार बनाता है. आज सब जगह शिक्षा की दुकान खुली हुई है, इसे बदलने की जरूरत है.
उन्‍होंने कहा कि अब यह देश दिल्‍ली से नहीं चलेगा. जैसे पहले अंग्रेज लंदन से शासन चलाते थे अब वैसा ही काले अंग्रेज दिल्‍ली में बैठकर शासन कर रहे हैं. अब हर गांव स्‍वतंत्र होगा, विकास का मॉडल गांव तय करेगा. केजरीवाल ने कहा कि मैं कांग्रेस को चेतावनी दे देना चाहता हूं. अगर अगले दो साल में जनलोकपाल, राइट टू रिकॉल जैसे कानून को पास कर दें तो हमलोग राजनीति में कदम नहीं रखेंगे.
केजरीवाल ने कहा कि जेपी आंदोलन के बाद यह सबसे बड़ा मौका है इसलिए हम सभी संगठनों से और सभी युवाओं से अनुरोध कर रहे हैं कि वह हमारे साथ आएं.
केजरीवाल ने कांग्रेस, बीजेपी, बीएसपी, एसपी समेत तमाम दलों के साथ लगे युवाओं से कहा कि अगर आप अपने दल के साथ खुश हैं तो ठीक है लेकिन अगर वहां दम घुटता है तो आप देशभक्‍तों की टोली में शामिल हो जाइए. आपका स्‍वागत है. इसबार हम बिना पैसे के चुनाव लड़कर जीतना चाहते हैं. अगर जनता साथ है तो सबकुछ संभव है. केजरीवाल ने कहा कि भविष्‍य भारत का है और अगले तीन साल में भारत भ्रष्‍टाचारमुक्‍त होकर रहेगा.

अन्‍ना के ऐलान से राजनीतिक दलों में खलबली

टीम अन्‍ना ने राजनीतिक विकल्‍प देने यानी राजनीतिक पार्टी बनाने का फैसला तो कर लिया लेकिन उसकी राह आसान नहीं होने जा रही. पहले से स्‍थापित राजनीतिक दलों से मुकाबला करना टीम अन्‍ना के लिए निश्चित ही टेढी खीर साबित होगी. हालांकि जब से अन्‍ना ने राजनीतिक विकल्‍प देने की बात कही है तब से रोजनीतिक‍ पार्टियों की मिलीजुली प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है.
कपिल सिब्‍बल- केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्‍बल ने टीम अन्‍ना को चुनौती देते हुए कहा कि मेरे चुनाव क्षेत्र यानी चांदनी चौक से चुनाव लड़कर दिखाएं. आजतक के साथ एक खास बातचीत में सिब्‍बल ने कहा कि मैंने हमेशा सच का साथ दिया है. सिब्‍बल ने कहा कि टीम अन्‍ना ने हमेशा मुझपर निशाना साधा है. इसके अलावा सिब्‍बल ने कहा कि कोई भी कानून रामलीला मैदान में नहीं बनता है, कानून संसद में बनता है. सिब्‍बल ने तो यहां तक कहा कि रामलीला में आंदोलन के दौरन बीजेपी और एबीवीपी ने साथ दिया था लेकिन अब टीम अन्‍ना उसके खिलाफ भी बोल रही है. टीम अन्‍ना चांदनी चौक से चुनाव लड़कर दिखाए, पता चल जाएगा. सिब्‍बल ने कहा कि उनको तो पहले ही आ जाना चाहिए था लेकिन अच्‍छा हुआ अब पता चल जाएगा.
अंबिका सोनी- सूचना एवं प्रसारण मंत्री अंबिका सोनी ने कहा था कि टीम अन्‍ना के इरादे शुरू से ही राजनीति में आने का था, यह इन लोगों का हिडेन एजेंडा था. अब आ रहे हैं राजनीति के मैदान में तो पता चलेगा कि राजनेताओं को किन किन हालातों में काम करना पड़ता है.
दिग्विजय सिंह- कांग्रेसी नेता दिग्विजय सिंह ने टीम अन्‍ना के इस नए तेवर का स्‍वागत किया और कहा कि अब रामदेव भी अपनी पार्टी बनाए और चुनाव के मैदान में हाथ आजमाए. दिग्विजय सिंह ने कहा कि मैं तो पहले से ही कहता था, अच्‍छा हुआ इनलोगों ने खुलासा कर दिया.
बाबा रामदेव- बाबा रामदेव ने इस मुद्दे पर कहा कि अगर अन्‍ना ने इस प्रकार की घोषणा की है तो वे कुछ सोच समझकर ही किए होंगे. मैं उनके साथ बात करने के बाद ही कुछ कह पाऊंगा.
नितिन गडकरी- भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के अध्यक्ष नितिन गडकरी ने अन्ना हजारे तथा उनकी टीम के अनशन तोड़ने व राजनीतिक विकल्प प्रदान करने की पेशकश का स्वागत करते हुए शुक्रवार को कहा कि टीम अन्ना उनकी पार्टी का विकल्प नहीं हो सकती. गडकरी ने कहा, 'जो भी भ्रष्टाचार के खिलाफ है, वह अन्ना हजारे या बाबा रामदेव का समर्थन करेगा. यदि अन्ना हजारे हमारा समर्थन चाहते हैं तो हम उनकी मदद करेंगे.' उन्होंने कहा कि टीम अन्ना बीजेपी का विकल्प नहीं हो सकती, लेकिन यह कांग्रेस का विकल्प हो सकती है. उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी को नए समूह की ओर से कोई खतरा नहीं है.
सुब्रहमण्‍यम स्‍वामी- जनता पार्टी के अध्‍यक्ष सुब्रहमण्‍यम स्‍वामी पहले ही कह चुके हैं कि टीम अन्‍ना वास्‍तव में यही चाहती थी और अब उनका सच सामने आ गया है.

अन्ना हजारे के इन सवालों के जवाब कौन देगा


सवाल
1. उम्मीदवारों के चयन का तरीका क्या होगा ?
2. ऐसे लोगों का चयन कैसे करोगे जो केवल देश से प्रेम करते हों और समाज की सेवा करना चाहते हैं ?
3. कोई भ्रष्ट व्यक्ति निर्वाचित न हो जाए यह कैसे सुनिश्चित करेंगे ?
4. अगर कोई भ्रष्ट व्यक्ति निर्वाचित हो गया तो क्या करेंगे ?
5. अगर सही व्यक्ति निर्वाचित होने के बाद भ्रष्ट हो गया तो क्या करेंगे ?
6. हमारे राजनीतिक विकल्प का उद्देश्य सिस्टम को बदलना है शासन को नहीं..यह कैसे होगा ?
7. यह कैसे सुनिश्चित करेंगे कि लोग बिना धन के लालच के वोट करें ?
8. चुनाव लड़ने के लिए धन कहां से आएगा ?
9. चुनाव फंडिंग में पारदर्शिता कैसे रह पाएगी ?

Puri Jagannath temple entry rules draw flak

- Even Indira Gandhi was not allowed inside the temple

- An American Noel was beaten up by temple security personnel

- Who's God is this by the way ?

Bhubaneswar: “Only Orthodox Hindus are allowed,” a signboard hanging from the Lion’s Gate of Sri Jagannath Temple in Puri has triggered many a controversy in the past and it continues to draw myriad reactions even today.

The latest such incident took place when an American national attempted to climb ‘Nandighosh’, the chariot of Lord Jagannath during the world famous “Rath Yatra”, the annual car festival of the deity, in June this year in the seaside town.

The Jagannath Temple is dogged by controversies.

The American, identified as Noel Magee Hayden, was allegedly beaten up by temple security personnel and driven out of the chariot as he was not a born Hindu. ”This is injustice. When Sri Jagannath is considered as the Lord of the universe, how can anyone deny permission to my husband to climb the chariot like others?” his wife Silpi Boral, who hails from Odisha, expressed surprise.

While the police registred a case in this connection, the Shaknaracharya of Govardhan Peeth in Puri, Swami Nischalananda Saraswati also denounced the manner in which the foreigner was treated by security personnel.

“The foreigner could have been requested not to climb the chariot or enter the temple as he is not an orthodox Hindu. There is no justification in physically assaulting him,” the Shankaracharya observed.

The assault of the American had reminded people of tales about how a number of dignitaries, including former Prime Minister Indira Gandhi, had not been allowed to enter the 12th century shrine.

“In 1984, Indira Gandhi was not allowed to enter the temple of Lord Jagannath at Puri because she had married a Persian, Firoze Gandhi,” pointed out a priest defending the ban on entry. Similarly, in 2005 Queen of Thailand Mahachakri Siridharan had come to Odisha but as she was the follower of Buddhism, she was not allowed into the temple, said another temple priest.

In 2006, the shrine, whose ancestry goes back to 12th century, also did not allow a citizen of Switzerland named Elizabeth Jigler, who had donated Rs 1.78 crore to the temple because she was a Christian.

In 1977, Bhakti Vedanta Swami Pravupada, the founder of ISKCON movement, had visited Puri. His devotees were not allowed to enter the temple and he was warned of making an attempt to step into the temple. ”There is no doubt that Jagannath culture gives emphasis on religious tolerance and communal harmony and does not permit any distinction with regard to caste, creed and colour,” historians said.

“Still, while framing the rules and regulations for the administration of the temple, the management might have taken into account the ravages of the Muslim attacks on the temple several times in the past,” according to historians.

“That might have induced the Sevayatas to impose restriction on the entry of non-Hindus into the temple,” say Dr Rekharani Khuntia and Dr Brajabandhu Bhatta in a study.

Sri Jagannath Temple at Puri was attacked and looted several times during the Moghul period, they said. According to ‘Madala Panji’, the temple records, the first attack was made by Raktabahu, the Muslim Sabedar (319-323 A.D) during the period of Sobhana Dev’s rule.

Subsequently, the temple was attacked at least 20 times. As for the practice of allowing only orthodox Hindus into the temple, only the Sankaracharya of Puri, the Gajapati Maharaja and the Chhatisha Niyoga (priests’ body) can decide on any modification or change in the rules of the temple, says Prof Himansu S. Patnaik, a former Professor of History, in Utkal University, Bhubaneswar.

Without elaborating, the Gajapati King of Puri, Divya Singha Deb, however, says: “We should respect sentiments of all people. Jagannath Temple is known for its tradition and practice.”

1 अग॰ 2012

पुणे में एक के बाद एक 4 धमाके, 2 घायल

पुणे धमाकों में अमोनियम नाइट्रेट का इस्‍तेमाल



एक बार फिर सीरियल ब्लास्ट से देश दहल गया. तमाम एजेंसी कुछ नहीं कर पाई और नापाक इरादों ने पुणे के जरिए एक बार फिर देश को थर्रा दिया. अब एनआईए समेत तमाम एजेंसियां ये जानने में जुटी हैं कि आखिर इस धमाके के पीछे कौन है और ये धमाका किया कैसे गया है.
अब तक का जानकारी के मुताबिक, इस धमाके में अमोनियम नाइट्रेट का इस्तेमाल हुआ है. धमाकों की जगह से एक चिपचिपा पदार्थ भी मिला है, जिसे जांच के लिए फोरेंसिक लैब भेज दिया गया है. एनआईए धमाके की जगह वाली साइकिल और डस्टबिन भी अपने साथ लेकर गई है.
बुधवार की रात सुशील कुमार शिंदे के केंद्रीय गृह मंत्रालय का प्रभार सम्भालते ही उनके गृह राज्य महाराष्ट्र के पुणे में बुधवार की शाम कम तीव्रता वाले लगातार चार बम विस्फोटों से लोगों में अफरातफरी मच गई. इन विस्फोटों में एक व्यक्ति घायल हो गया.
दिल्ली में केंद्रीय गृह सचिव आर.के. सिंह ने भी बताया कि घायल व्यक्ति का इलाज चल रहा है. उन्होंने इसे आतंकवादी घटना होने की सम्भावना से इंकार नहीं किया. उधर राज्य के गृह मंत्री आर.आर. पाटिल ने सुरक्षा स्थितियों का जायजा लिया.
केंद्रीय गृह सचिव आर के सिंह ने कहा है बुधवार की रात पुणे में हुए सीरियल ब्‍लास्‍ट एक सुनियोजित साजिश लगती है. इस बीच राजधानी में पुणे ब्‍लास्‍ट को बुलाई गई उच्‍चस्‍तरीय बैठक शुरु हो चुकी है.
पुणे के विभिन्न इलाकों में बुधवार की शाम कम तीव्रता वाले लगातार तीन बम विस्फोट होने से लोगों में अफरातफरी मच गई. इन विस्फोट में कई व्यक्ति घायल हो गया. ये सभी विस्फोट शाम आठ बजे के करीब हुए
इसमें से एक व्यस्ततम जंगली महाराज रोड पर रंगधारा आडिटोरियम के पास बाल गंगाधर चौक पर हुआ. दूसरा विस्फोट मैकडोनाल्ड की दुकान के पास कचरे के ढेर में हुआ. इन दोनों स्थानों पर शाम 7.30 बजे के करीब हुआ. तीसरा विस्फोट इसी इलाके में देना बैंक के पास हुआ. चौथा विस्फोट इसी रोड पर गरवारे चौक पर एक साइकिल में हुआ.
कहां कहां हुए धमाके?
- पहला धमाका बालगंधर्व थियेटर के पास
- दूसरा धमाका मैकडॉनल्‍ड के पास
- जेएम रोड पर तीसरा धमाका
- गरवारे चौक पर चौथा धमाका 
टीवी रिपोर्ट के अनुसार मैक्‍डोनाल्‍ड, गंधर्व थियेटर, गरबारे चौक, देना बैंक और खैबर बार के समीप धमाका हुआ है. उल्‍लेखनीय है कि 13 फरवरी 2010 को पुणे के ही मशहूर जर्मन बेकरी में ब्‍लास्‍ट हुआ था जिसमें 17 लोगों की मौत हो गई थी.

यहां 'राखी' है हिंदू-मुस्लिम एकता का प्रतीक

वैसे तो रक्षाबंधन 'भाई-बहन' के पवित्र प्रेम का त्योहार माना जा रहा है, लेकिन बुंदेलखंड में यह 'हिंदू-मुस्लिम' एकता का प्रतीक भी है. यहां मुस्लिम महिलाएं सिर्फ राखी का निर्माण ही नहीं करतीं, बल्कि उसे हिंदू भाइयों की कलाई पर बांध कर अपनी रक्षा का वचन भी लेती हैं.
एक ऐसी ही मुस्लिम महिला है जमीला खातून जो पिछले दो दशक से राखी बनाने के अलावा अपने मुंहबोले हिंदू भाई की कलाई में 'राखी' बांधती आ रही है.
उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड में कभी हिंदू और मुस्लिम समुदायों के बीच सांप्रदायिक विवाद नहीं हुआ, यहां तक कि बाबरी मस्जिद का ढांचा गिराए जाने पर जब पूरा देश जल रहा था, तब भी बांदा की धरती पर हिंदू समुदाय के लोग मुस्लिम वर्ग के गले मिल रहे थे.
इतना ही नहीं, एक-दूसरे के हर त्योहार दोनों समुदायों के लोगों के बीच मिलजुल कर मनाने की परंपरा जैसी है. ईद में हिंदू सेवइयों का स्वाद लेते हैं तो दशहरा में मुस्लिम 'पान' खाकर सामाजिक सौहार्द कायम करते हैं.
अब भाई-बहनों के पवित्र रिश्ते के त्योहार रक्षाबंधन को ही ले लीजिए, बांदा शहर में रहुनिया और खुटला मुहल्ले के तीन दर्जन मुस्लिम परिवार राखी बनाने के व्यवसाय से जुड़े हुए हैं. इनमें से एक जमीला खातून का परिवार दो दशक से सिर्फ राखी ही नहीं बनाता, बल्कि जमीला खुद अपने एक मुंहबोले हिंदू भाई की कलाई में हर साल पहली राखी बांधती है.
जमीला कहती है, 'हिंदू-मुस्लिम दोनों सगे भाई की तरह हैं, कोई भी मजहब आपस में बैर करना नहीं सिखाता है. यहां हिंदू समुदाय के लोग मुस्लिम त्योहार मनाते हैं और मुस्लिम वर्ग हिंदुओं के त्योहार में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेता है.'
वह बताती है कि उसका पूरा परिवार दो दशक से राखी बनाने का व्यवसाय कर रहा है और वह खुद कई साल से अपने एक हिंदू भाई की कलाई में राखी बांधकर रक्षा का वचन लेती है.
वह कहती है, 'जब तक मेरी राखी उसकी कलाई में नहीं बंध जाती, तब तक 'मेरा भाई' अपनी सगी बहनों से राखी नहीं बंधवाता.'
खुटला के रहने वाले अब्दुल का कहना है, 'हम उनके हैं और वे हमारे हैं, हम अपने त्योहार में उनका 'खैर मकदम' करते हैं तो वह दीवाली-दशहरा में हमारा स्वागत करते हैं.'
नब्बे के दशक में मुलायम सिंह यादव सरकार में कैबिनेट मंत्री रह चुके बांदा के बुजुर्ग समाजवादी चिंतक जमुना प्रसाद बोस का कहना है, 'देश के किसी भी हिस्से में दो समुदायों के बीच कितना भी दंगा-फसाद हो, पर उसका असर यहां कभी नहीं हुआ. हमेशा हिंदू-मुस्लिम वर्ग मिल-जुल कर हर तिथि-त्योहार मनाता आया है.'
बोस बताते हैं कि यहां के मुस्लिम सिर्फ राखी का ही निर्माण नहीं करते, बल्कि दशहरे में जलाए जाने वाला 'रावण' हमेशा एक बुजुर्ग मुस्लिम बनाता है और उसमें आग भी वही लगाता है. यानी हिंदू-मुस्लिम के बीच सामाजिक सौहार्द यहां आज भी कायम है.